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आतंकवाद के खिलाफ – कौन मजबूत और कौन मजबूर….

विचार भूमि
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पिछले कई दिनों से अमेरिका का “Times Square” बार-बार चर्चा में आ रहा है. अभी कुछ रोज पहले ही “फैसल शहजाद” नामक व्यक्ति ने “Times Square” पर बम बलास्ट करने की नाकाम कोशिश करी. कल ही फिर से वहां संदेहास्पद वस्तु मिलने से “HomeLand Security” को पूरा इलाका खाली करवाना पड़ा. मै आप को बताना चाहूँगा की आतंकवादी क्यों बार-बार “New York” या “Times Square” को ही अपना निशाना बनाते है. मुझे “Times Square” को देखने का बड़ा करीबी अनुभव रहा है, यह वह जगह है जो सारी दुनिया को एक छोटे से गाँव में बदल देती है. इस जगह पर आप को दुनिया के लगभग हर कोने से लोग मिल जायेगे. मुझे बड़ा गर्व हुआ था, एक साल जब क्रिसमस के दिन “Times Square” पर मुझे लगभग ७०% घूमने वाले लोग, हिन्दुस्तानी दिखे थे और हर तरफ से बस भारतीय भाषाओ की आवाजे आ रही थी. वहां पर कोई हिंदी में , कोई गुजराती, मराठी, कन्नडा में बात कर रहा था, मुझे ऐसे लग रहा था जैसे की मै हिंदुस्तान के ही किसी कोने में हूँ. कहने का सार यही है कि “Times Square”, सारी दुनिया को प्रदर्शित करता है और यहाँ किया गया कोई भी हमला जयादा से जयादा देश के लोगो पर अपना असर डालेगा.

आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की सख्त और कारगर नीतियों की वजह से, कोई भी आतंकवादी गुट सितम्बर ११, २००१ के बाद अमेरिका में सफल हमला नहीं कर पाया है. चुकी मैंने अमेरिका में कई साल बिताये है और मैंने अमेरिकी नीतियों को काफी गहराई से देखने और समझाने की कोशिश करी है; मै ये सोचता था कि ऐसा क्या है इनकी नीतियों में जो अमेरिकी सिस्टम को आतंकवाद के खिलाफ इतना ताकतवर बनता है. एक एशियाई होने के नाते मेरी यात्राओ के दौरान मुझे भी कई बार सघन जाँच से गुजरना पड़ा है लेकिन मुझे इसकी ज़रा भी शिकायत नहीं है क्योंकी देश और देशवासियों की सुरक्षा हर देश का पहला अधिकार है और वह भी हर कीमत पर.

“Times Square” पर हुए वाकये में सब से गौर करने लायक बात यह है कि बम मिलने के १० घंटे के अन्दर ही असली अपराधी पुलिस कि गिरफ्त में था और २४ घंटे के अन्दर ही पाकिस्तान के ४ अलग अलग शहरों से ७ लोगो को इस साजिश में शामिल होने के शक में गिरफ्तार कर लिया गया. मुझे पूरी उम्मीद है मेरे यह लेख लिखते वक़्त भी कई और गिरफ्तारियां अमेरिकी जाँच एजेंसियां कर चुकी होगी. अभी कुछ घंटे पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री सुश्री “हिलेरी क्लिंटन” ने लगभग चेतावनी के लहजे में पाकिस्तान को धमकाया है कि अगर इस हमले में कही भी पाकिस्तान के सरकारी लोगो या नीतियों का हाथ होगा तो पाकितान को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होगे. इसमें कोई शक नहीं पाकिस्तानी सरकार अमेरिका के भय से अपनी पूरी ताकत लगा देगी, गुनाहगारो को पकड़ने के लिए.

चलिए अभी बात करते है भारतीय नीतियों की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के बारे में. मै अगर तारीखे निकलने लगूंगा कि कब और कौन सा आतंकी हमला हिंदुस्तान में हिंदुस्तान की जनता पर हुआ है तो शायद मेरा पूरा लेख ही तारीखों से भर जायेगा. जयादा पीछे नहीं जाऊंगा बस सन २००८ मुंबई पर हुए हमले कि बात करते है. हमला घातक था, जानलेवा था, लम्बा था या कहिये एक युद्ध था भारतीय अस्मिकता के खिलाफ. हमने १५० से जयादा जाने गवां के और अरबो का आर्थिक नुकसान झेल के मुंबई में घुसे हमलवारो को या तो मार दिया या पकड़ लिया लेकिन इस पूरी साजिश के “Master Minds” को हम छु तक नहीं पाए. सरकार भाषणबाजी करती रही, कागज के पोथे पाकिस्तानी सरकार को सबूत के तौर पर देती रही, लेकिन एक साल से भी जयादा समय हो जाने के बाद भी न तो भारतीय धमकियों से और न ही भारतीय सबूतों से पाकिस्तानी सरकार के कान पर जूं रेंगी. कुछ एक गिरफ्तारियां हुई लेकिन वो भी नाम के लिए. हम सारी दुनिया के सामने ये भी चिल्लाते रहे की जब तक पाकिस्तान अपराधियों को सजा नहीं देता भारत सरकार पाकिस्तान से कोई बात-चीत नहीं करेगी ; लेकिन साथ ही साथ जब- जब अमेरिकी दबाव पड़ा तो वो चाहे मिस्र में हो या भूटान में दोनों देश के प्रधानमंत्री और अधिकारी ऐसे मुस्कुरा कर हाथ मिलते हुए बाहर निकले कि लगा मानो सारी समस्याए हल हो गई हो. लेकिन ये मुस्कुराहटें भी उतनी ही खोखली होती है जितनी कि भारत सरकार की धमकियाँ और पाकिस्तान सरकार का आतंक के खिलाफ लड़ने का भरोसा.

मुझे पूरी उम्मीद है की अगर अमेरिका को लगा कि “Times Square” की साजिश के पीछे पाकिस्तानी गुटों का हाथ है तो अगले कुछ दिनों में वो लोगो कही भी हो अमेरिकी फौजे उनको मार गिराएगी या उनको नेस्तेनाबूत करने की पूरी कोशिश करेगी . वही “मुंबई हमलो” के मुख्य आरोपी पाकिस्तान में खुले आम “हिंदुस्तान” के खिलाफ जहर उगलते रहेगे और रोज नयी साजिशे भारत के खिलाफ बनायेगे. भारत सरकार १ कदम आगे और ४ कदम पीछे की नीति पर आतंकवाद के खिलाफ आगे बढ़ रही है, यह तो भविष्य ही बताएगा कि इस रफ़्तार से कब असली अपराधियों को सजा मिलेगी? सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है की उसको एक साल बाद “हेडली” से बात करने की मंजूरी मिल गई है सरकार को यह नहीं समझ रहा है कि इस देरी के वजह से हम “पुणे बेकारी हमला” तो झेल ही चुके है और जब तक वो “हेडली” से बात करेगे तब तक और न जाने कहाँ कहाँ हमले हिंदुस्तान में हो चुके होगे.

कोई शक नहीं अमेरिकी नीतिया सबसे पहले अमेरिकी हित साधती है और आतंकवाद के लिए उनके दोहरे मापदंड है, लेकिन शायद कोई भी देश हो उसकी पहली चिंता उसका अपना देश और अपने लोग होते है. आखिर हम कब तक अपनी कमजोरियों को दूसरे देशो पर थोपते रहेगे; भारत सरकार को खुद ही ये सोचना होगा कि कैसे कारगर और त्वरित तरीके से आतंकवाद के खिलाफ लड़ा जाये. भारत सरकार चाहे जितने भी सबूत, नाम या पते पाकिस्तान सरकार को देती रहे; पाकिस्तानी सरकार कुछ नहीं करने वाली जब तक उसको यह नहीं लगेगा कि अगर पाकिस्तानी फ़ौज आतंकियों के खिलाफ नहीं जाएगी तो हिन्दुस्तानी फौजे उनको ख़तम करेगी .

मुझे पूरा विश्वाश है कि अगर भारत सरकार पूरी इक्षाशक्ति और क्षमता के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का मन बना ले तो भारत के सुरक्षाबल और एजेंसियां दुनिया के किसी भी दुश्मन को ढूँढने और ख़तम करने में सक्षम है; लेकिन वह होगा कब और कैसे होगा यह तो देश चलने वाले ही जाने?

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