आज़म खान साहब की अभी ताज़ा ताज़ा घर वापसी हुई है और उनकी बेचैनी जायज़ है. यह वैसे ही है जैसे एक नयी बहु जब घर आती है तो घर में जगह बनने के लिए वह सब का दिल जीतना चाहती है. यहाँ फर्क बस इतना है कि आज़म साहब ने घर के मुखिया “नेता जी” की नज़र में आने के लिए, गलत राह पकड़ी है.
खान साहब वैसे भी पहले से ही कुख्यात रहे है अपने वक्तव्यों को लेकर, लेकिन एक बार फिर से वो फिसल गए. आज़म साहब को लोक सभा चुनाव के पहले गफलत थी कि रामपुर की राजनीति में उनका बड़ा प्रभाव है, और इसी के आधार पर उन्होंने अपने पुराने सहयोगियों से तलवारे खीच ली. पासा लेकिन उल्टा पड़ गया और रामपुर की जनता ने उन्हें अपना जवाब दे दिया. अंत में जैसा की कोई भी मौका परस्त राजनीतिक व्यक्ति करता है इन्होने ने भी वही किया और घर वापसी करी.
पता नहीं कहाँ से, लेकिन देश में मुसलमान वोट बैंक की राजनीती करने वाले लोगो को लगता है कि अगर आप आतंकवाद के खिलाफ नरमी, अतंकवादियो से हमदर्दी, हिन्दुओ से खतरे और कश्मीर के लिए आज़ादी के बारे में बात करने लगेगे तो आप मुसलमानों के हितैषी बन जायेगे. आज़म साहब के साथ भी ऐसा ही है, लोगो की नज़रो में आने के लिए और अपने आप को मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी दिखने के लिए उन्होंने बोल दिया की “गुलाम नबी साहब एक ही मुस्लिम मंत्री है और वो भी भारत के न हो के कश्मीर के…”. एक ऐसा आदमी, जो सिर्फ एक जिले रामपुर के लोगो की नब्ज़ का हाल नहीं पता लगा पाया उससे भारत के इतिहास और भूगोल कि जानकारी की उम्मीद भी नहीं करी जा सकती है.
वैसे तो हम मुलायम जी के न तो बहुत बड़े समर्थक है और न ही विरोधी पर देश के रक्षामंत्री के रूप में उनका कार्यकाल अमूमन विवाद रहित था. मुलायम जी भी कई बार वोट बैंक की राजनीति करते रहे है लेकिन फिर भी विदेश मामलो में उन्होंने अपने आप को बाकी देश के साथ खड़ा किया है वो चाहे पाकिस्तान हो या फिर चीन. हमें पूरा भरोसा है आज़म खान साहब का कश्मीर पर दिया गया बयान, मुलायम जी को भी रास नहीं आयेगा. और यह भी सच है, अगर समाजवादी पार्टी में कुछ भी मुलायम जी को अच्छा नहीं लगता तो वह जयादा दिन तक पार्टी के साथ नहीं चल सकता.
आज़म साहब एक बार रामपुर में बगावत कर के गलती कर चुके है और वह जल्दबाजी में फिर से दूसरी गलती कर गए. बगावत पर उनकी नासमझी से तो सिर्फ उनको और समाजवादी पार्टी को कुछ हद तक नुकसान हुआ था लेकिन कश्मीर पर उनकी गलती से सारे देश को नुकसान हो सकता है. वैसे तो आज़म साहब ऐसी कोई बड़ी शक्सियत नहीं है जिनका कोई बहुत बड़ा आधार हो भारत की राजनीती पर लेकिन उनके इस बयान से मुलायम जी जरूर अपने आप को असुविधाजनक स्थिति में पा रहे होगे.
चुकी आज़म खान की जानबूझ कर करी गई बयानबाजी से मुलायम जी और बाकी पार्टी असहज स्थिति में होगी तो बहुत जल्दी ही हम आज़म खान के अगले वक्तव्य की उम्मीद कर सकते है कि “हमारे बयान को गलत समझा गया और तोड़ मरोड़ कर के पेश किया गया…”
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