Menu
blogid : 1336 postid : 289

विक्कीलीक्स, नेतागिरी और मुसलमान

विचार भूमि
विचार भूमि
  • 49 Posts
  • 463 Comments

“विक्कीलीक्स”, एक ऐसा नाम बन गया है जिससे दुनिया के कई देश हलकान है. कोई नहीं जानता की विक्कीलीक्स कौन सा खुलासा आगे करने वाला है. अमेरिका जहाँ इसे अपनी विदेश नीति और कूटनीति के लिए सबसे बड़ा खतरा समझ रहा है, वही कई और देशो के भी विदेशमंत्री और राष्ट्राध्यक्ष कुछ नया पता चलने की बाट जोह रहे है.

विक्कीलीक्स के खुलासो को अगर भारतीय परिपेक्ष्य में देखे तो अभी तक यहाँ नुकसान कम और फायदा जयादा वाली स्थिति रही है. भारत के लिए इनके अधिकतर खुलासे, अधिक नहीं बस आइना दिखने वाले से मालूम पड़ते है. मेरे विचार से दो सबसे बड़े खुलासे, जो भारत और भारतीय को प्रभावित करते है वो है, पहला कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओ के चहरे से नकाब उतरना और दूसरा भारतीय मुसलमानों के बारे में अमेरिका की सोच.

पहले शासन करने वाली पार्टी कांग्रेस कि बात करते है. यह वो राजनीतिक दल है जिसने धर्मनिरपेक्षता का नारा दे दे कर देश को कई बार गंभीर साम्प्रदायिकता की आग में झोका है. कही पर यह १९८२ के दंगो के रूप में सीधे सीधे गुनाहगार है तो कही कभी आतंकवादियो के खिलाफ नरमी दिखा कर मुसलमानों को शक के दायरे में खड़ा करने की कोशिश करती है और फिर कही हिन्दू कट्टर पंथ का हौआ दिखा कर मुसलमानों के अन्दर डर का भाव पैदा करने के कोशिश करती है. मेरे विचार से कांग्रेस एक वैचारिक साम्प्रदायिकता की राह पर है जिनका ये मानना है की आप क्रिया करते जाओ, प्रतिक्रिया तो आपने आप ही दूसरी तरफ से होगी.

देश के लिए सांप्रदायिक सिर्फ वो नहीं है जो धर्म के आधार पर एक दुसरे का खून बहाते है, सांप्रदायिक वो भी है जो कभी झूठा डर दिखा कर या आतंकवादियो के खिलाफ नरमी दिखा कर अलग अलग धर्म के लोगो के बीच नफरत की दीवार खड़ी करते है. वह भूचाल जो विकिलीक्स के खुलासे के बाद आया था, कि कांग्रेस के कुछ नेताओ ने मुंबई हमले के बाद उसका धार्मिक आधार पर राजनीतिक फायदा उठाने कि कोशिश करी थी, अभी थमा भी नहीं था कि राहुल गाँधी जी का सच सामने आया कि उनकी नज़र में भारत के लिए हिन्दू कट्टरपंथ, लश्करे तैअबा से भी जयादा खतरनाक है. सच क्या है यह तो राहुल गाँधी भी जानते है और देश कि जनता भी लेकिन कांग्रेस का पास समाधान क्या है दोनों तरह के आतंकवाद को हल करने का. पहला अगर कोई आतंकवादी घटना है तो सबसे पहले उस पर धर्म की मोहर लगाओ, दूसरा अगर इसमें कोई हिन्दू वादी संगठन है तो सुरक्षा अजेंसियो को आदेश दे दो कि जाँच की सारी प्रक्रिया हर एक एक घंटे के बाद सारे न्यूज़ चैनल पर आनी चाहिए और अगर हमला किसी मुस्लिम संगठन ने किया है तो शांतिदूत दिग्विजय सिंह जी को तुरन्त आतंकवादियो के घर सांत्वना देने के लिए भेज दो. इस तरह के प्रयासों से सरकार न तो कट्टरपंथ ख़तम कर पायेगी और न ही आतंवादियों के हमले रोक पायेगी, इससे सिर्फ और सिर्फ दो धर्मो के बीच डर, शक और नफरत कि तलवारे खिचेगी.

अगर सरकार को वाकई देश के लोगो कि चिंता है तो उसे आतंकवाद को धर्म के चश्मे से देखना छोड़ना पड़ेगा. उसको मानना पड़ेगा कि गोली या बम लोगो का नाम और धर्म पूछ कर लोगो नुकसान नहीं पहुचाते. सरकार को हर उस इन्सान को सजा देनी होगी जो देशद्रोह में संलिप्त है वो फिर चाहे किसी भी जाति का हो या किसी भी धर्म का.

जाते जाते बात करते है विकिलीक्स के सुखद खुलासे की, इनके हिसाब से अमेरिका की नज़रो में भारतीय मुसलमान अपने वतन के लिए निष्ठावान और जिहाद से दूर है. वैसे तो भारत के मुसलमानों को किसी के सत्यापन की आवश्यकता नहीं है लेकिन फिर भी यह उन लोगो के लिए जवाब है जो मुसलमानों को शक की निगाह से देखते है. इतिहास गवाह है की भारत के मुसलमानों ने भी भारत को आजाद कराने के लिए उतनी ही कुर्बानिया दी थी जितनी की किसी और धर्म के लोगो ने. यह जान के अच्छा लगा की भारत का युवा मुसलमान भी विकास की आस करता है. अगर स्थितिया और बेहतर होती गई तो निश्चित ही भारत का मुसलमान, इस्लाम को एक नई उचाईयो तक ले जायेगा, जिसकी राह शांति और विकास की होगी न की जिहाद की और खून खराबे की.

[हम यही सोच रहे है कि काश विकिलीक्स ऐसे ही कोई खुलास उन लोगों के बारे में भी करती जिनकी काली कमाई विदोशो में जमा है…शायद देश का कुछ और भला हो जाता….]

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh