६ फरवारी २०११: विरोध करने पर जानलेवा हमला कानपूर में … ३ फुरवारी २०११: ३ साल की बच्ची के साथ मुंबई में… ३ फरवरी २०११: २१ साल की महिला के साथ त्रिचुर में.. २ जनवरी २०११: ११ वी क्लास में पढने वाली एक लड़की के साथ दिल्ली में … २३ जनवरी २०११: कुछ पुलिस वालो के द्वारा एक महिला के साथ जयपुर में.. १७ जनवरी २०११: ५ साल की बच्ची के साथ बहरमपुर में… १४ जनवरी २०११: एक दिन में ३ अलग अलग घटनाओ में महिलाओ के साथ लखनऊ मं… १४ जनवरी २०११: एक गर्भवती महिला के साथ गुडगाँव में… …. ….
दिल दहला देने वाले ये अपराधो का सिलसिला जो ऊपर दिया गया है ये बस कुछ वो घटनाये है, जो हमने और आप ने अखबारों या समाचारों में पढ़ी और सुनी है. ऐसी न जाने कितनी ही घटनाये न तो पुलिस तक पहुच पाई है और न समाचार पत्रों तक. हर एक – दो दिन में आप को कही न कही से यह खबर मिल ही जाती है की फिर किसी मासूम के साथ कुछ सिरफिरे लोगो ने यह घ्रडित अपराध किया है. केंद्रीय अपराध बुयुरो के आंकड़ो के हिसाब से भारत में बलात्कार की घटनाये खतरनाक स्तर से बढ़ रही हैं, और इसकी वृधिदर लगभग 30% के आस पास है. वैसे यह अपराध देश में साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है लेकिन जिस तरह २०११ की शुरुआत हुई है, उससे लगता है इस बार अपराध के ये सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ देगा.
आंकड़ो के हिसाब से, देश में हर चौथी बलात्कार की दुर्घटना देश की राजधानी दिल्ली में होती है. दिल्ली वो शहर है जहाँ सतही तौर पर सुरक्षा चाक चौबंद लगती है लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. दिल्ली जहाँ मुख्यमंत्री एक महिला है, दिल्ली जहाँ देश की पहली महिला राष्ट्रपति रहती है, दिल्ली जहाँ देश पर शासन करने वाले दल की मुखिया रहती है, उसी दिल्ली की सडको पर राह चलती महिलाये उठा ली जाती है और भागती सडको पर कुछ विछिप्त लोगो की हवस का शिकार बन जाती है. दिल्ली की सडको पर आप को पुलिस की गाड़ियाँ तो हर तरफ दिख जाएगी लेकिन वो लोगो की सुरक्षा नहीं दे पाती है. यह हल सिर्फ दिल्ली का ही नहीं अधिकांश शहरों का है.
मै यह सोच रहा था की ऐसा क्या है “NCR ” में जो इसको महिलाओ के लिए देश की सबसे असुरक्षित जगह बनाता है. इस तथ्य के भौगोलिक और सामाजिक दोनों ही कारण है. भौगोलिक आधार पर यह एक ऐसी जगह है जहाँ अपराधियों को सब से शीघ्रता से एक प्रदेश में अपराध कर के दुसरे प्रदेश की सीमा में भागने की सुविधा देती है, और अलग अलग प्रदेशो की सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय के अभाव में अपराधियों को सब से अधिक समय छुपने या भागने के लिए. सामाजिक स्तर पर, “NCR” वह जगह है जहाँ देश के सबसे ताकतवर लोग रहते है और जहाँ अनियंत्रित ताकत है वहां अपराध है. पुलिस वहां पर वह शायद आखिरी संस्था है जिससे वहां पर ताकतवर लोग डरते है.
इन भौगोलिक और सामाजिक सामाजिक कारणों के इतर भी हमारे देश का कानून भी कोई बड़ा खौफ नहीं पैदा करता है इस भीषडतम अपराध के लिए. ई पी सी की धरा ३७६ के हिसाब से बलात्कार के अपराधी को १ साल से १० साल तक का सश्रम कारावास दिया जा सकता है, या विरलतम श्रेणी के अपराध में आजीवन कारावास. यहाँ पर यह ध्यान देने लायक बात है की अपराधियों को आम तौर पर ७ या ८ साल की सजा होती और और उस पर भी ३ या ४ साल, या कभी कभी उससे भी कम समय में उनको जमानत मिल जाती है और अपराधी कारावास से बाहर आ जाते है. एक ऐसा अपराधी जो एक जिन्दगी को जीते जी मार जाता है, एक अपराधी जो नारीत्व के अस्तित्व पर हमला करता है उसको इतनी कम सजा न्याय नहीं अन्याय है.
वो देश जो दुर्गा माँ के रूप में नारी की तो पूजा करता है, और देश में महिला राष्ट्राध्यक्ष बना के गर्व करता है, वह देश महिलाओ को सम्मान, सुरक्षा और न्याय नहीं दिला पाता है. मै भारत सरकार से अपील करता हूं की इन अपराधियों के लिए म्रत्युदंड का प्रावधान करे और यह न्याय निष्पक्ष ही नहीं बल्कि समय पर भी हो. मेरे विचार से इस अपराध के लिए, जीवनदान देने का अधिकार भी सिर्फ और सिर्फ पीडिता को होना चाहिए न की महामहिम राष्ट्रपति जी के पास…
[लेख लिखते समय, दैनिक जागरण पर एक खबर आ रही थी की बिहार के चुनावी परिणाम से हताश कांग्रेस, दुष्कर्म की घटनाओ को उत्तर प्रदेश में चुनावी मुद्दा बनाएगी…शायद नेता जी यह भी आशा कर रहे हो की इस तरह की घटनाये बढाती भी रहे..जिससे यह चुनावी मुद्दा जिंदा रहे भले ही…]
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