देश के प्रधानमंत्री माननीय ‘नरेंद्र मोदी’ जी राजनीति के महासमर में विजयरथ पर सवार हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि मानों, वो अश्वमेध यज्ञ कर रहें हैं। देश में निर्णायक जीत दर्ज़ करने के बाद उनका अश्व, राज्य दर राज्य आगे बढ़ रहा है। उनकी वैश्विक कूटनीति और पुरुषार्थ का सिक्का भारत में ही नहीं अपितु विश्व में भी जमा है। निश्चय ही, देश को उनसे बड़ी अपेक्षाएँ हैं। ‘अश्व ‘अब इंद्रप्रस्थ में है, और लड़ाई “भाजपा” के लिए रोचक, परन्तु “आप” के लिए निर्णायक है।
अब बात करते हैं एक दूसरे राजनीतिक दल की, जो अभी अपने शैशव काल में है। एक प्रबुद्ध वर्ग द्वारा, एक राष्ट्र व्यापी आंदोलन से उपजी नयी राजनीतिक सोच. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, इनकी विचार-धारा का केंद्र बिंदु है, और भारत भ्रष्टाचार से बुरी तरह त्रस्त है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सत्ता का परित्याग कर के निश्चित ही एक घोर राजनैतिक भूल करी, और उसके बाद नरेंद्र मोदी जी के खिलाफ व्यक्तिगत विष वमन करके, उन्होंने फिर से सिद्ध किया की, वो जन भावना पढ़ने में नाकाम हैं। लेकिन क्या इन दो वजहों से आम आदमी पार्टी की प्रासंगिकता खत्म हो जाती है, या खत्म हो सकती है ? कम से कम हम को तो ऐसा नहीं लगता है।
आज के राजनैतिक और सामाजिक परिपेक्ष्य में, देश को नरेंद्र मोदी जी की भी आवश्यकता है और अरविन्द केजरीवाल जी की भी। आप किसी भी राजनैतिक दल समर्थक हों, आप को मानना पड़ेगा कि, ‘आप’ ने राजनीति के कुछ पुराने नियमों को बदला है। फिर वो चाहे राजनिति का अपराधीकरण हो या राजनीति में धन के बल का प्रयोग हो। यह ‘आप’ ही है, जिसकी वजह से अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को टिकट देने से पहले, राजनितिक दल दो बार सोचते हैं।
कांग्रेस की दिशाहीनता और पतन की स्थिति में “आप” की आवश्यकता तथा प्रासंगिकता, और बढ़ जाती है। एक लोकतंत्र के लिए जितनी महत्तता सत्ता पक्ष की है उतनी है एक विचारवान विपक्ष की। बिना ताकतवर विपक्ष के, लोकतंत्र ताकतवर नहीं हो सकता है। दिल्ली एक अच्छी सरकार और एक मजबूत विपक्ष की हक़दार है। सुखद बात यह है, की संभवतः दिल्ली को या तो “किरण बेदी” जी जैसी मजबूत शख्सियत मुख्यमंत्री के तौर पर मिलेंगी या “अरविन्द केजरीवाल” जी जैसा जुझारू व्यक्तित्व मुख्यमंत्री के तौर. दोनों ही परिस्थियों में दिल्ली को एक अच्छा मुख्यमंत्री मिलेगा, और एक मजबूत विपक्ष।
प्रधान-मंत्री जी से मेरा विवेदन होगा, वह दिल्ली के चुनाव को अपने नाक की लड़ाई न बनाये। वह एक जन नायक हैं और वह आम आदमी पार्टी के समर्थकों के भी प्रधान मंत्री हैं। उनसे उम्मीद करी जाएगी कि उनके शासनकाल में, भाजपा दिल्ली में सकारात्मक और मुद्दों पर आधारित राजनैतिक लड़ाई लड़ेगी और अपने प्रतिद्वंदी को बराबरी से लड़ने का मौका देगी।
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