दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए, दमदार वापसी करी. अरविन्द केजरीवाल जी और उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है. लोकतंत्र के इस जलसे में कोई हारता है तो कोई जीतता है, लेकिन ऐसी जीत और ऐसी हार का अनुमान किसी को नहीं रहा होगा। दिल्ली के मतदाताओं ने अरविन्द केजरीवाल जी को न सिर्फ माफ़ किया बल्कि उनको अपने सर आँखों पर भी बिठा लिया, यह दिखाता है कि दिल्ली का दिल वाकई कितना बड़ा है। दिल्ली की जनता ने अपने स्वप्नों को जिताया है और अब जिम्मेदारी आम आदमी पार्टी पर होगी कि उन स्वप्नों को कैसे पूरा करा जाये।
दिल्ली के इस ऐतिहासिक चुनावी परिणाम को अधिसंख्य विशेषज्ञ केंद्र सरकार की और माननीय प्रधानमंत्री जी अलोकप्रियता बता रहे हैं. यह आकलन बेहद सतही है, निश्चित ही एक राजनीतिक दल के रूप में, भाजपा ने कई घोर गलतियां, दिल्ली के चुनाव में करी हैं लेकिन दिल्ली के परिणाम केंद्र के काम का आकलन नहीं है। दिल्ली के लोगो ने राष्ट्रीय विषयों पर नहीं अपितु स्थानीय मुद्दों पर वोट किया। दिल्ली के लोगो ने बिजली/पानी/भ्रष्टाचार जैसे रोजमर्रा के मुद्दों पर भाजपा दिल्ली और आप दिल्ली के बीच में चुनाव किया। निश्चित तौर पर भाजपा दिल्ली के पास न तो कुशल नेतृत्व था और न ही समस्याओं के लिए कोई स्पष्ट रोड मैप. भाजपा के आवश्यकता से अधिक चुनावी प्रचार और आक्रामकता ने, दिल्ली वालों के दिल में केजरीवाल जी के लिए सहानुभूति उत्पन करी। जब सारा सरकारी तंत्र किरण बेदी के साथ खड़ा हुआ, दिल्ली की जनता ने अरविन्द केजरीवाल के साथ खड़े होने की ठानी।
यह भारत का सौभाग्य है कि उसको एक लम्बे समय के बाद केंद्र में स्थाई सरकार मिली है और एक सक्षम प्रधानमंत्री भी. कूटनीतिक मसाले और जन उपयोगी तमाम योजनाएं केंद्र सरकार की प्राथमिकता में है। सरकार काम करती हुई दिख रही है और काम करवाती हुई भी दिख रही है. देश में समस्याएं विकराल हैं तो समाधान में समय भी लगेगा। केंद्र सरकार के सही मूल्यांकन के लिए के लिए, उसको और समय दिया जाना चाहिए। केंद्र सरकार सही रास्ते पर है, तो उम्मीद करी जानी चाहिए कि वो अपनी मंज़िल को पायेगी।
दिल्ली एक छोटा रण क्षेत्र था और इसकी हार से भाजपा को बड़े सबक मिलेंगे, उम्मीद करी जाएगी कि जो गलतियां भाजपा ने दिल्ली चुनाव में करी वह गलतियां उत्तर प्रदेश और बिहार में नहीं दोहरायेगी। नरेंद्र मोदी जी सारे देश के प्रधानमंत्री हैं, राज्यों के चुनाव में भाजपा, उनका उपयोग इस तथ्य को समझ कर ही करे, और स्थानीय नेतृत्व को आगे बढ़ाने का प्रयास करे।
सबसे हास्यपद बात यह है कि केजरीवाल जी की जीत से कुछ क्षेत्रीय क्षत्रप अनायास ही प्रफुल्लित हैं, उनको लगता है कि वो केजरीवाल जी की जीत को अपने राज्यों में दोहरा पायेगे। क्या वो इससे अनभिज्ञ हैं, कि आम आदमी पार्टी का उदय ही परंपरागत राजनीति के पतन के कारण हुआ है, जिसको यह क्षत्रप बरसों से करते आये है।
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments